




प्रस्तुत फुटेज़ द्वारका से बेट द्वारका(गुजराती-मराठी में 'बेट' से तात्पर्य 'टापू' होता है। हिन्दी पट्टी के लोग श्रीकृष्ण-सुदामा की भेंट से जोड़ते हुए इसे 'भेंट द्वारका' कहते हैं।) जाते हुए जेट्टी पर भिक्षा हेतु बैठे एक नेत्रहीन का है। गति और लय में तालबद्धता यहाँ भी है--हारे को हरिनाम की महत्ता यहाँ सिद्ध होती है।
बच्चे घोंसले की सीमित दुनिया से बाहर पाइन की टहनी पर आ बैठे हैं। माँ अब उनको केवल चुग्गा ही नहीं दे रही, पंख फड़फड़ाना भी सिखा रही है। उसकी कोशिशें देखकर लगता है, बहुत जल्द ये हवा में तैरना सीख जाएँगे। पहले इस टहनी तत्पश्चात् पेड़ का भी मोह त्यागकर खुले आकाश को अपना लेंगे।
दोस्तो,
घर के बाहर गमले में उगा रखे पाइन के एक पौधे में पिछले माह एक नन्हीं-सी चिड़िया ने घोंसला बनाया, अंडे दिये, उन्हें सेहा(Hatched) और चूज़े निकाले। ‘Animation’ के इस अंक में प्रस्तुत हैं छोटे-से उस चिड़िया-परिवार के दो वीडियो-क्लिप्स। एक में चिड़िया के बच्चे अपनी माँ का इन्तज़ार कर रहे हैं तथा दूसरी में माँ-चिड़िया बच्चों के मुँह में चुग्गा डाल रही है। आइए, इस परिवार की खुशियों में हम-सब भी शामिल होते हैं।